तो चलिए अब बिजनेस मोनोपोली को करीब से समझते हैं। सामान्य तौर पर किसी भी बिजनेस को मार्केट में बहुत सारा कंपटीशन मिलता है, जो सस्टेनेबल प्राइसेस और नई अपॉर्च्युनिटीज़ को जन्म देता है। यह कंपटीशन उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि इससे उन्हें उचित मूल्य पर बेहतर विकल्प मिलते हैं।
लेकिन जब किसी एक बिजनेस को अपने नीश (niche) में कोई सिग्निफिकेंट कंपटीशन नहीं मिलता, तब वह मार्केट में अपनी मोनोपोली यानी एकाधिकार बना सकता है।
मोनोपोली का अर्थ:
मोनोपोली का मतलब है कि एक कंपनी को मार्केट में कोई सीधा प्रतिद्वंद्वी नहीं होता जो उसके प्रोडक्ट्स या सर्विसेस को चुनौती दे सके। जब ऐसा होता है, तो उस कंपनी के पास यह अधिकार होता है कि वह अपनी मनमानी कीमतें निर्धारित कर सकती है।
हालांकि, मोनोपोली किसी भी बिजनेस के लिए बहुत अधिक प्रॉफिट और ग्रोथ का कारण बन सकती है, लेकिन इसे सामान्य व्यापारिक स्थिति नहीं माना जाता है। इसका कारण यह है कि जब किसी बिजनेस को मार्केट में कोई कंपटीशन नहीं मिलता, तो उसे कीमतों और सर्विस क्वालिटी की परवाह किए बिना अपनी मर्जी से सब कुछ तय करने का अधिकार मिल जाता है।
नेचुरल मोनोपोली:
कुछ मोनोपोली प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होती हैं, यानी कि किसी कंपनी के प्रोडक्ट्स या सर्विसेज ऐसी होती हैं जो कोई और कंपनी ऑफर ही नहीं कर रही होती। इसका मतलब है कि वह अपने नीश में अकेली कंपनी है, इसलिए उसे कोई प्रतिस्पर्धा नहीं मिलती।
लीगल और इलीगल मोनोपोली:
जब कोई कंपनी जानबूझकर अपने प्रतिस्पर्धियों को मार्केट से हटा देती है, चाहे वह कानूनी तरीकों से हो या अवैध तरीकों से, तो इस तरह की मोनोपोली बाजार और उद्योगों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी क्षेत्र में केवल एक ही इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर हो, तो उस कंपनी की उस क्षेत्र में मोनोपोली होगी। ऐसे में, कंपनी बिना किसी कंपटीशन के अपनी प्राइसेस को आसानी से बढ़ा सकती है और उसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सर्विस की क्वालिटी का कोई नियंत्रण नहीं रहेगा।
मोनोपोली के प्रभाव:
विभिन्न इंडस्ट्रीज़ में मोनोपोली के अलग-अलग प्रभाव हो सकते हैं। फ्री मार्केट यानी स्वतंत्र बाजार, ऐसी आर्थिक परिस्थितियों को बढ़ावा देते हैं जहां अधिक प्रतिस्पर्धा और नवाचार होते हैं। लेकिन, मोनोपोली में एक कंपनी अपने सभी प्रतिस्पर्धियों को खरीदकर या उन्हें बाहर निकालकर बाजार में प्रभुत्व स्थापित कर लेती है।
प्योर कंपटीशन बनाम मोनोपोली:
मोनोपोली के विपरीत, प्योर कंपटीशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें कई कंपनियाँ समान उत्पादों को लगभग समान कीमतों पर ऑफर करती हैं। प्योर कंपटीशन में, किसी कंपनी का उत्पाद की कीमत पर बहुत कम नियंत्रण होता है, क्योंकि मार्केट में एक समान स्तर की प्रतिस्पर्धा होती है। जबकि मोनोपोली में, कंपनी को पूरी आज़ादी होती है कि वह बाजार की शर्तों को अपनी मर्जी से निर्धारित कर सके, और ग्राहक को उसकी सर्विस पर निर्भर रहना पड़ता है।
निष्कर्ष: मोनोपोली बिजनेस के लिए फायदे का सौदा हो सकती है, लेकिन इससे उपभोक्ता और समाज पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।