यहाँ आपके द्वारा दिए गए पाठ में भावनात्मक रंग भरने का प्रयास किया गया है:
हनुमान और कलयुग :- लगभग 5000 वर्ष पहले, जब द्वापर युग का अंत हुआ और कलयुग की शुरुआत हुई, तो त्रिदेव सहित सभी देवताओं ने पृथ्वी से दूरी बना ली। इस युग के बारे में कहा जाता है कि यह पूरी तरह से देवताओं के आगमन से परे था। सृष्टि के नियम के अनुसार, इस युग में चमत्कार की कोई गुंजाइश नहीं थी। इसका मतलब था कि कोई भी देवता कलयुग के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। कलयुग की सत्ता पूरी तरह से कली के हाथों में थी और उसने यह बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया कि कोई देवता उसकी योजना में बाधा डाले। कली, जो एक असुर भी थी और एक युग भी, ने देवताओं से बिल्कुल भी सहायता की उम्मीद नहीं की।
परंतु, कलयुग के आरंभ से पहले ही महादेव को यह एहसास हो गया था कि जैसे-जैसे कलयुग पुराना होगा, उसकी शक्ति और भी प्रबल होती जाएगी। इस खतरे को भांपते हुए, महादेव ने समय से पहले विनाश की शुरुआत कर दी। उन्होंने हनुमान जी को यह कार्य सौंपा कि वे श्री राम के नाम का प्रचार करें, ताकि एक नई ऊर्जा, हनुमान युग की शुरुआत हो सके। इस प्रकार, कलयुग पर नियंत्रण बनाए रखा जा सके। हनुमान जी ने धरती पर आकर विभिन्न रूपों में श्री राम के नाम का प्रचार किया। इसके बाद, जगह-जगह श्री राम और हनुमान जी के मंदिर बनने लगे।
हालांकि, हनुमान जी अपने खुद के मंदिर बनने को लेकर निराश हो गए। वे चाहते थे कि हर जगह श्री राम के मंदिर बनें, न कि उनके। हनुमान जी ने अपने आप को केवल श्री राम का सेवक माना और भगवान बनने की इच्छा को पूरी तरह से नकार दिया। जब हनुमान युग की शुरुआत हुई, तो कलयुग ने देखा कि हनुमान जी की पूजा भी हो रही है। यह देखकर कलयुग बेतहाशा गुस्से में आ गया। उसने मंदिरों और उनके आसपास रहने वाले लोगों में पाप फैलाने की कोशिश की, लेकिन हर बार उसे निराशा का सामना करना पड़ा।
फिर उसने पहली बार हनुमान जी की ताकत को महसूस किया। उसे समझ में आया कि किसी भी मंदिर या मंदिर के आसपास उसकी माया का कोई असर नहीं हो सकता। इसलिए, उसने बहुत चतुराई से मंदिरों से दूर रह रहे लोगों में मंदिरों के प्रति घृणा फैलाना शुरू किया। इसके परिणामस्वरूप, लोगों ने मंदिरों को तोड़ना और साधु संतों को दंडित करना शुरू कर दिया। हनुमान जी श्री राम के ध्यान में खोए हुए थे, लेकिन जब उन्होंने कलयुग के दुस्साहस को महसूस किया, तो वे बेहद क्रोधित हो गए।
हनुमान जी ने आकाश, पाताल, जंगल—हर जगह कलयुग की खोज की और अंततः दोनों आमने-सामने आ गए। कलयुग को देखकर वह घबरा गया और अपने सारे शक्तियों से हनुमान जी पर प्रहार करने लगा। लेकिन हनुमान जी पर उसकी शक्तियों का कोई असर नहीं हुआ। फिर उसने अपनी माया का प्रयोग किया, लेकिन हनुमान जी ने उसे भी तोड़ दिया। श्री राम का नाम लेकर, हनुमान जी ने कलयुग को युद्ध में हराया।
हालांकि, कलयुग को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता क्योंकि वह केवल एक दैत्य नहीं, बल्कि एक युग है। कलयुग वहां से गायब होकर कहीं छिप गया और तब से हनुमान जी और कलयुग के बीच लगातार युद्ध जारी हैं। हर बार हनुमान जी ने कलयुग को पराजित किया है। यह संघर्ष यह सिखाता है कि भले ही बुराई कुछ समय के लिए अच्छाई पर हावी हो जाए, अंततः सच्चाई की विजय होती है। हनुमान जी के प्रयासों के कारण ही कलयुग समय से पहले अपने घातक रूप को धरती पर नहीं ला सका। यदि आज धरती पर कहीं अच्छे कर्म हो रहे हैं, कहीं ईमानदारी है, कहीं सच्चाई है, तो यह सब हनुमान जी की ही देन है। यही वजह है कि हनुमान जी को कलयुग का देवता भी कहा जाता है, क्योंकि इस युग में हनुमान जी ही सच्चे लोगों का सहारा हैं। तो आज के लिए इतना ही।