जन्म लेते ही बच्चे क्यों रोते हैं ? विष्णु पुराण, इस्लाम, विज्ञान – True Facts Vishnu Puran

जन्म लेते ही बच्चे क्यों रोते हैं ? विष्णु पुराण, इस्लाम, विज्ञान :- दोस्तों, जब जीव मृत्युलोक में जन्म लेता है, उस समय उसकी स्मृति शून्य होती है। वह ना तो किसी चीज को जानता है और ना ही किसी को पहचानता है। बच्चा मां के गर्भ से निकलकर जैसे ही बाहर आता है तुरंत ही रोना शुरू कर देता है। वह ऐसा तकलीफ में करता है, या कोई और कारण भी है, जिसे हम समझ नहीं पाते।   

हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार, वैसे तो इसके पीछे एक पौराणिक कथा की मान्यता है जिसका विवरण विष्णु पुराण में मिलता है। 

इस्लाम में भी बच्चे रोने के अपने अलग कारण बताये गए हैं।

जब जीव मृत्यु लोक में जन्म लेता है उसे समय उसकी  स्मृति शून्य होती है वह ना तो किसी चीज को जानता   है और ना ही किसी को पहचानता है बच्चा माँ के गर्भ  से निकल कर जैसे ही बाहर आता है तुरंत ही रोना शुरू कर देता है वह ऐसा तकलीफ में करता है या कोई और  कारण भी है जिसे हम समझ नहीं पाते क्या आपने भी  कभी सोचा है की आखिर बच्चा जन्म लेने के तुरंत बाद  रोता क्यों हैं इसके पीछे का सटीक कारण क्या है   

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार वैसे तो इसके पीछे  एक पौराणिक कथा की मान्यता है जिसका विवरण विष्णु   पुराण में मिलता है इस्लाम में भी बच्चे रोने के  अपने अलग कारण बताए गए हैं लेकिन सच्चाई क्या है यह एक ऐसा सवाल है जिसका सही उत्तर हम सब जानना  चाहते हैं शिशु के जन्म लेते ही रोने के कारण को   विज्ञान एक सहज और आवश्यक प्रक्रिया मानता है 

तो  दोस्तों लिए इस ब्लॉग में सबसे पहले हम बच्चे के  रोने को लेकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण समझते हैं फिर  हिंदू धर्म शास्त्रों में वर्णित उसे पौराणिक कथा  को जानेंगे जिसका उल्लेख विष्णु पुराण में मिलता है 

 नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सबका हमारे चैनल techtalksandeep में आपसे विनती है कमेंट बॉक्स में जय श्री कृष्ण लिखकर परमात्मा को अपना आभार व्यक्त कीजिए 

दोस्तों नए  जीवन की प्रक्रिया पुरुष और स्त्री के समागम के साथ शुरू होती है जिसके फलस्वरूप जी को एक नए शरीर  के रूप में स्त्री के गर्भ में स्थान मिलता है जब तक बच्चा माता के गर्भ में रहता है तब तक वह  सांसारिक दुनिया से अंजन होता है माता के गर्भ में वह जीवित तो होता है parntu वह सांस नहीं लेता उसके  शरीर को खाना पीना इत्यादि माँ  से जुड़ी गर्भनाल से प्राप्त होता रहता है बच्चे के फेफड़े तो बन जाते  हैं लेकिन वह प्रयोग में नहीं रहते बच्चा माँ  के  गर्भ में एक पतली झिल्ली के अंदर बंद होता है

 जिसमें  तरल पदार्थ भरा होता है इस तरल पदार्थ को वैज्ञानिक  फ्लूइड बोलते हैं यही तरल पदार्थ बच्चे के मुंह  श्वास नाली और फेफड़े तक में पहुंच जाता है लेकिन जब तक बच्चा माँ  के गर्भ में रहता है तब तक इस तरल  पदार्थ से बच्चे को कोई कष्ट नहीं होता बल्कि इसी तरल पदार्थ की वजह से वह माँ  के गर्भ में सुरक्षित  रहता है प्रसव की क्रिया माँ  और बच्चे दोनों के लिए कष्टदायक होती है बच्चा बहुत सकरी मार्ग से निकल  कर दुनिया में आता है जिस क्षण बच्चा माँ  के गर्भ  से बाहर निकल कर इस संसार में आता है उसके आसपास का  परिवेश बदल जाता है अब शिशु को जीवित रहने के लिए श्वास की जरूरत होती है शिशु के फेफड़े प्रथम बार कम  करना शुरू करते हैं लेकिन फेफड़े में वही तरल पदार्थ  

पहले से ही भरा होता है जिसे बाहर निकलना बच्चे के  स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है इसीलिए डॉक्टर  बच्चे की डिलीवरी होते ही गर्भनाल को काट देते हैं  और बच्चे को उल्टा करके उसके मुंह से इसी तरल पदार्थ  को बाहर निकलती हैं ऐसी आशाए स्थिति में बच्चा प्रथम  बार रोता है रोने की प्रक्रिया के दौरान बच्चा एक   गहरी सांस लेता है जिससे हवा फेफड़े के अंदर प्रवेश  करती है और फेफड़े में भरा तरल पदार्थ बाहर निकल जाता है 

इसलिए बच्चे का प्रथम बार रोना बच्चे के  स्वस्थ होने का संकेत होता है अगर बच्चा स्वयं से नहीं रोता तो डॉक्टर बच्चे की पीठ पर हल्के हाथ से  थपकी लगाकर उसे रुलाने का प्रयास करते हैं जिससे   फेफड़े में हवा जा सके और तरल पदार्थ बाहर ए सके  

बच्चे के दिमाग को सही ढंग से काम करने के लिए एवं   बच्चे के शरीर को सुचारु रूप से कार्य करने के लिए  ऑक्सीजन की जरूरत होती है जिन बच्चों के फेफड़े से   तरल पदार्थ नहीं निकल पता उनके फेफड़े में पर्याप्त  हवा नहीं पहुंच पाती ऐसा होना बच्चे के जीवन के लिए   खतरा होता है और दिमाग को पर्याप्त ऑक्सीजन ना मिल  पाने के कारण उन्हें किसी प्रकार की मानसिक बीमारी   भी हो सकती है तो दोस्तों यह बातें थी विज्ञान की  लिए 

अब जानते हैं पैदा होते ही बच्चे के रोने के करण   

लेकर धर्म ग में क्या लिखा है शिशु जब प्रथम बार  रोता है तो उसके रोने का स्वर्ग कुछ इस प्रकार  सुनाई देता है जैसे वह पूछ रहा हूं कहां हूं मैं  कहां हूं विष्णु पुराण के मुताबिक जब ब्रह्मा जी  सृष्टि की रचना कर रहे द उन्होंने स्वयं जैसा पुत्र  पैदा करने का विचार किया तो उनकी माया से गोद में   एक मायावी बालक प्रकट हुआ यह बालक रोते हुए ब्रह्मा  जी की गोद में उथल-पुथल करने लगा जब ब्रह्मा जी ने   उसे बालक से इसकी वजह पूछी तो उसे बालक ने प्रश्न  किया

 मैं कौन हूं मैं कहां हूं मेरा क्या नाम है   इस पर ब्रह्मा जी कहते हैं की पैदा होते ही तुमने  रोना शुरू कर दिया इसलिए मैं आज से तुम्हारा नाम  रुद्र रखता हूं ऐसी मान्यता है की इस बच्चे के जन्म  से पहले किसी बच्चे ने रोना शुरू नहीं किया था ऐसी पौराणिक मान्यता है की तभी से जन्म के बाद बाकी  बच्चों में भी रोने का नियम बन गया 

जबकि इस्लाम  धर्म में यह मान्यता है की बच्चे के जन्म लेते  ही शैतान उसके पास आता है शैतान के छूट ही बच्चा जोर-जोर से रोने लगता है इसीलिए ऐसी मान्यता है  की जब बच्चे की पैदाइश हो जाएं तो फौरन उसके दाएं  कान में जान और बाएं कान में इमामत पढ़नी चाहिए ताकि  बच्चा शैतान के दर से महफूज अल्लाह की पनाह में रहे   और पैदा होते ही अपने परवरदिगार का नाम सन ले क्या  आपको बच्चे के रोने का कारण पहले से ही पता था कमेंट बॉक्स में जरूर बताइए 

दोस्तों अगर आपको इस विषय से  जे कोई अन्य जानकारी चाहिए तो आप कमेंट में  दिए गए  

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