बटुआ अगर खाली है तो ये पोस्ट ज़रूर पढ़े| बिना खर्च पैसा कमाओ | 48 hour startup book

बटुआ अगर खाली है तो ये पोस्ट ज़रूर पढ़े| बिना खर्च पैसा कमाओ | 48 hour startup book:-अगर मैं आपसे पूछूं कि एक इंसान कितने साल की उम्र में एक प्रॉफिटेबल बिजनेस खड़ा कर सकता है 40 साल 35 साल 25 साल या चलो 20 साल इतनी उम्र तक तो कुछ लोग कामयाब हो जाते हैं 

लेकिन एक इंसान ऐसा भी है जिसने सिर्फ 8 साल की उम्र से ही अपनी  एंटरप्रेन्र्दे पालता था और उनसे वह दूध और अंडे लेता और इसी से पैसे कमाता तो जब फ्रेजर एक दिन उनके फार्म में गए तो उनको यह वाला बिजनेस बहुत ही पसंद आया क्योंकि वह आदमी मुर्गियों को सिर्फ दाना खिलाता और जब भी वो अंडे देती वो उसे बेचने निकल जाता 

इससे उनके दिमाग में भी ये आईडिया आया कि क्यों ना मैं भी इसको स्टार्ट करूं व घर गए और इस बारे में सोचने भी लगे क्योंकि इस काम में एफर्ट तो ज्यादा था ही नहीं सिर्फ मुर्गियों को खाना खिलाना था और जब भी वो अंडे देती तो उन्हें बेच कर आना था तो वो इस फैसले पर पहुंचे कि अब वो भी यह बिजनेस शुरू करेंगे 

अगले दिन वह उस फार्म वाले अंकल के पास गए और मासूम सा चेहरा बनाकर बोले अंकल मुझे कुछ अंडे फ्री में दे दो ना फार्म वाले को उनका चेहरा देखकर उन पर दया आ गई तो उन्होंने फ्रेजर को कुछ अंडे ऐसे ही फ्री में दे दिए 

अंडे लेकर वह बहुत खुश हुए और घर जाकर उन्होंने वो अंडे टीवी के ऊपर रख दिए पहले के टीवी कुछ इस तरह बने होते थे कि वह बहुत जल्दी गर्म हो जाया करते थे तो कुछ ही दिन में उन अंडों में से चार अंडे हैच हो गए फ्रेजर यह देखकर बहुत खुश हुए और उन्होंने उन चीजों का खुद ही ख्याल रखना शुरू कर दिया 

वो टाइम टू टाइम उनकी देखभाल करते और टाइम पर उनको खाना देते अब ऐसे ही कुछ महीनों बाद वह बच्चे अब बड़े हो चुके थे और इस दौरान उन्होंने अब अंडे भी देने शुरू कर दिए आज फ्रेजर पहली बार उन अंडों को बेचने निकल पड़े सबसे पहले तो वह अपने पड़ोसी के पास गए और उन्हें अंडा दिखाकर यह कहा अंकल जी मैंने नई अंडों की दुकान खोली है क्या आप नहीं लेना चाहेंगे उन्होंने एकदम फ्रेश अंडा देकर वह खरीद लिए ऐसे ही वह पड़ोस में उस दिन के सारे अंडे बेच आए अब कुछ दिन तक तक तो वो ऐसे ही करते रहे मुर्गी अंडा देती गई और वह बेचते गए 

लेकिन फिर एक दिन क्या हुआ फ्रेजर जब घर पर वापस आए तो वह क्या देखते हैं उनकी मुर्गियों को लोमड़ी ने खा लिया है यह सब देखकर उनको बहुत बुरा लगा और वह रोने लग गए लेकिन एक बार अब उनको बिजनेस की हवा लग गई थी तो यह नुकसान होने के बाद भी वह बैठे नहीं वह समझ चुके थे कि बहुत ज्यादा पैसा तो बिजनेस से ही कमाया जा सकता है 

इसीलिए आठ से 15 साल तक उन्होंने कई छोटे-मोटे बिजनेस ट्राई किए बट 15 साल की उम्र में उन्होंने एक ऐसा बिजनेस पकड़ा जिससे वो टीनएज में ही मिलियनेयर बन गए 

तो आखिर ऐसा कौन सा बिजनेस कर लिया उन्होंने वेल ये तो हम जानेंगे ही इसके साथ हम यह भी जानेंगे कि अगर आपके पास ज्यादा रिसोर्सेस नहीं है या पैसे भी आपके पास बिल्कुल ना के बराबर हैं तो आप कैसे फिर भी अपना कोई बिजनेस स्टार्ट कर सकते हो 

 तो पहला लेसन हमें इस बुक का यह बताता है कि टैक एक्शन व्हेन यू हैव एन आईडिया 

अक्सर हमारे साथ ऐसा होता है कि अचानक से ही हमारे दिमाग में एक ऐसा आईडिया आ जाता है जो हमारी लाइफ चेंज कर सकता है पर जाने-अनजाने में हम उस आईडिया को इग्नोर करके फिर से अपनी लाइफ में बिजी हो जाते हैं और कभी भी दोबारा उस आईडिया के बारे में सोचते तक नहीं लेकिन फ्रेजर ने ऐसा कभी नहीं किया उनके दिमाग में जो भी आइडियाज आते और उन्हें लगता कि यह यूजफुल आईडिया है 

तो वह अपने उस आईडिया पर तुरंत एक्सपेरिमेंट करके देखते ऐसे ही एक बार वह अपनी दादी के यहां गए थे तो उनकी दादी ने उन्हें वहां पर जैम बनाकर लाया वो जैम फ्रेजर को बहुत पसंद आया तो उन्होंने अपनी दादी से पूछा दादी क्या आप मुझे ये जैम बनाना सिखा सकती हैं 

तो दादी ने कहा क्यों नहीं बेटा जरूर सिखाऊंगा ने फिर अपनी मेहनत से जैम बनाने की पूरी रेसिपी सीख ली अब घर आकर वोह सबसे पहले बाजार गए और वहां से कुछ फ्रूट्स खरीद कर ले आए देन घर पर ही उन्होंने जैम बनाना शुरू भी कर दिया 

जैम बनाने के बाद उन्होंने इसे अपने दोस्तों अपने पड़ोसियों को टेस्ट करवाया और उनसे फीडबैक लिया और उन्होंने ये टेस्ट करने के बाद बहुत ही पॉजिटिव रिस्पांस दिया कुछ लोग तो इसके लिए उन्हें पे भी करने को तैयार थे बट फिर क्या था फ्रेजर को उनके सवाल का जवाब मिल चुका था 

उन्होंने इस बिजनेस आईडिया को दिल से लगाया और लग गए इसे ग्रो करने में अब फ्रेजर ने घर पर ही जैम बनाना शुरू कर दिया 

लेकिन यहां दिक्कत यह थी कि घर में वह ज्यादा स्पेस नहीं ले पा रहे थे क्योंकि उनके घर की किचन इतनी बड़ी नहीं थी तो उनकी मॉम को खाना वगैरह बनाने में बहुत दिक्कत हो रही थी इसीलिए उन्होंने अब खोजबीन शुरू कर दी यह जानने के लिए कि जैम के इस बिजनेस को के से बड़ा बनाया जाए तभी उनको यह पता चला कि जैम का बिजनेस साल दर साल घटता ही जा रहा है 

क्योंकि जैम के अंदर आर्टिफिशियल शुगर होती है इसलिए लोग हेल्थ कॉन्शसनेस की वजह से जेम को बाय ही नहीं कर रहे अब इस चीज ने फ्रेजर को सोच में डाल दिया कि अगर उनके जैम को भी मार्केट में अगर रिजेक्ट कर दिया गया तो क्या होगा आप देख रहे हो इतने छोटे से बच्चे के माइंड में इतनी बड़ी-बड़ी बातें चल रही हैं पर यह सब के बाद भी वह काम से हटे नहीं 

अब उन्होंने ऐसे जैम पर एक्सपेरिमेंट करना शुरू कर दिया जो पूरी तरह से शुगर फ्री हो उन्होंने बहुत सारी रेसिपी बनाई बट वो टेस्ट आ ही नहीं पा रहा था जो लोगों को पसंद आए बहुत बार ट्राई करने के बाद आखिर उन्हें वो रेसिपी मिल गई जो वैसे तो बिल्कुल शुगर फ्री थी 

लेकिन उसका टेस्ट शुगर वाले जैम जैसा ही था जैम बनाने के बाद उन्हें अब यह बेचने का प्रोसेस जानना था अब वो अपने स्टोर रूम में गए और वहां से दूध की कुछ बटल्स उठा लाए उन बटल्स को अच्छे से धो लेने के बाद उन्होंने वो जैम उसमें भर दिया 

अब वो कुछ बटल्स लेकर सुपरमार्केट गए वो एक शॉप पर रुके और शॉप के ओनर से उन्होंने यह बोला अंकल आपकी शॉप पर में मैं यह जैम रखवा चाहता हूं आप चाहो तो इसे टेस्ट करके देख लीजिए यह सबको पसंद आएगा तो शॉप ओनर ने उनका वोह जैम टेस्ट किया यह जैम उनको वाकई बहुत पसंद आया वो यह देखकर 

हैरान भी हुए कि एक 15 साल का बच्चा इतनी लगन से यहां बिजनेस करने के लिए आया है तो उन्होंने फ्रेजर से कहा कि बेटा देखो जैम तो तुम्हारा नो डाउट बहुत टेस्टी है और तुमने बेटा इतनी मेहनत की है कि मैं खुश हो गया तुमको देखकर पर माफ करना बच्चे मैं इस जैम को अपनी शॉप पर नहीं रख सकता 

क्योंकि इसमें तीन चीजों की कमी है और इन तीनों की वजह से ही यह जैम बिक नहीं पाएगा 

  1. पहली चीज है कि इसका कोई ब्रैंड नेम नहीं है 
  2. दूसरा इसकी पैकेजिंग अच्छे से नहीं हो रही 
  3. तीसरा बच्चे तुमने प्राइस ज्यादा बता दिया 

मुझे तो अगर तुम इन तीनों चीजों को सही कर लेते हो तो तुम्हारे जैम को मैं यहां बेच सकता हूं दूसरा मेन लेसन जो हमें इस बुक से सीखने मिलता है वो है स्केलिंग एंड ब्रांडिंग फ्रेजर को जब रिजेक्ट होकर वहां से वापस आना पड़ा तो उनको बहुत बुरा लगा फिर भी उन्होंने अपने इस बिजनेस पर गिव अप नहीं किया 

उन्होंने अब सीखना स्टार्ट किया वो अलग-अलग शॉप ओनर्स के पास जाते और उनसे मार्केटिंग के आइडियाज लेते फ्रेजर इतने मासूम बनकर बात करते कि किसी को भी उन पर दया आ जाती वह कई सारे मार्केटिंग और ब्रांडिंग एक्सपर्ट्स के पास गए और उनसे सीखने लग गए ताकि वह अपने जैम की अच्छी ब्रांडिंग और मार्केटिंग कर सकें सीखते सखते उनके दिमाग में अपने प्रोडक्ट के लिए एक नाम याद आ गया और वह नाम था सुपर जैम 

अब नाम तो उन्होंने रख दिया बट फिर भी इसकी ब्रांडिंग और पैकेजिंग में कमी थी फिर से उन्होंने यही पत्रा अपनाया वह अलग-अलग दुकानों पर गए और काफी कुछ सीखा इस बारे में एक साल की मेहनत और लगन के बाद उनको यह तो समझ आ गया कि अगर किसी प्रोडक्ट की पैकेजिंग अच्छी है तो उसकी सेल को हम 10 गुना तक बढ़ा सकते हैं और अगर प्रोडक्ट में उतना दम ना हो बट फिर भी उसकी ब्रांडिंग अच्छी हो तो भी वह बिक जाती है ब्रांडिंग के लिए अब उनको एक ऐसा सेंटेंस चाहिए था 

जो उनके प्रोडक्ट के बारे में शॉर्ट में बता सके तो उन्होंने इसके लिए यह सेंटेंस सोचा 100% फ्रूट्स नो आर्टिफिशियल शुगर इसी सेंटेंस के दम पर उन्होंने मार्केटिंग अपनी शुरू कर दी क्योंकि यही एक चीज थी जो उनको उनके टर से आगे लेकर जा रही थी अब उन्होंने अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग पैकेजिंग और ब्रांडिंग को सही कर लिया था पर अगेन वह घर में ज्यादा जैम नहीं बना पा रहे थे 

तो उन्होंने फिर क्या किया वह अपने डैड को लेकर एक फैक्ट्री के ओनर से जाकर मिले और अपने इस जैम के बारे में उन्होंने डिटेल में उनको बताया फैक्ट्री ओनर को जब यह पता चला कि यह पूरी तरह से शुगर फ्री है तो उन्होंने इस जैम के ब्राइट फ्यूचर को देखते हुए इसे मैन्युफैक्चर करने को तैयार हो गए फिर कुछ टाइम बाद वह वापस से वो सुपरमार्केट गए और शॉप ओनर को को जाकर बोले अंकल 

अब मेरे जैम के अंदर ना सब कुछ है मैंने इसका नाम सुपर जैम रखा है इसकी पैकेजिंग भी देखिए कितने कमाल की है और आपको पता है मैंने ना एक फैक्ट्री के साथ में कोलैबोरेशन भी किया हुआ है तो सप्लाई की आपको कभी कोई दिक्कत नहीं आएगी इस बार वह सुपरमार्केट के ओनर वो जैम रखने को राजी हो गए बट फिर क्या था 

ऐसे ही उन्होंने कई दुकानों पर वह जैम रखवा दिया और उनकी जमकर मार्केटिंग की और कुछ ही महीनों में उनका बिजनेस टेक ऑफ कर गया 

अगला लेसन जो हमें इस बुक से सीखने मिलता है है वो है एस्केप द वांर प्रनर बिजनेस में तो यार बहुत रिस्क होता है कहीं बिजनेस स्टार्ट करने से पहले यह ना चला तो क्या होगा कहीं हमारा यह आईडिया फेल ना हो जाए ऐसा सोचने वाले दुनिया में बहुत लोग हैं और उन्हीं को फ्रेजर वंट प्रनर कहते हैं इनके दिमाग में कोई आईडिया आता भी है 

तो भी वह एक्शन नहीं लेते क्योंकि एक्शन लेने से पहले ही उनके माइंड में यह सब आने लग जाता है लेकिन अगर सच में आप कोई बिजनेस खड़ा करना चाहते हो तो एक्शन तो आपको उसके लिए लेना ही पड़ेगा जैम के स्वाद को देखकर फ्रेजर के माइंड में इसे बेचने का आईडिया आया अगर वह इस आइडिया को एग्जीक्यूट ही ना करते इन सब के बारे में सीखते ही नहीं तो आज वह एक मिलियनेयर भी नहीं होते 

तो सबसे पहले तो आप एंटरप्रेन्योर बनने की सोचो ना कि व एंटरप्रेन्योर कभी भी यह मत सोचो कि यह आईडिया अच्छा नहीं है या यह आईडिया बहुत ही पुराना है आईडिया चाहे जैसा भी हो अगर आप उसको अच्छे से एग्जीक्यूट करोगे तो आपको 100% उसमें सफलता मिलेगी

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